पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों का अर्थशास्त्र

पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों का अर्थशास्त्र बहुत दिलचस्प है. अगर कच्चे तेल की मौजूदा कीमत 110 डालर प्रति बैरल (एक बैरल= करीब 160 लीटर) है और प्रति डालर रूपये की कीमत है 54.8 रूपये तो उसकी कीमत का सामान्य अर्थशास्त्र यह बनता है:

एक बैरल कच्चे तेल की कीमत: 110x54.8= Rs. 5970.8/ per Barrel 
प्रति लीटर कच्चे तेल की कीमत: 5970/160= Rs 37.31/ per liter 
प्रति लीटर शोधन और ट्रांसपोर्ट: Refining cost = Rs. 3/ per liter 
मार्केटिंग और कमीशन/मुनाफा लागत : Marketing etc Cost= Rs. 2/ per liter
प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत: Rs. 42.31/ per liter Petrol

डीजल की कीमत इससे भी कम होगी क्योंकि उसके शोधन की लागत और कम है. लेकिन दिल्ली में पेट्रोल है 67.56/ रूपये लीटर और डीजल है 47.15/ रूपये प्रति लीटर. सरकार कह रही है कि डीजल में उसे प्रति लीटर 9.60 रूपये का घाटा हो रहा है.

कैसे और क्यों? आखिर अंडर-रिकवरी के दावों और कीमतें तय करने में पारदर्शिता क्यों नहीं है? घाटे के दावों के बावजूद तेल कंपनियों को साल दर साल मुनाफा कैसे हो रहा है?

पेट्रोल के बाद अब डीजल की कीमतों को डी-रेगुलेट करने की हड़बड़ी क्यों है? कहीं यह पिछले दरवाजे से रिलायंस से लेकर एस्सार तक के लिए बाजार खोलने की तैयारी तो नहीं है? आखिर उनके पेट्रोल पम्प बहुत दिनों से बंद पड़े हैं और चुनाव भी नजदीक हैं.

जागो ग्राहक जागो....

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