साठ के हुए तो क्या... सठियाए नहीं हैं रमन

 साठ के हुए तो क्या... 

सठियाए नहीं हैं रमन

 सबसे पहले डॉ. रमन सिंह को उनके जन्मदिन की अशेष बधाईयां... अब वे साठ बरस के हो गए हैं। बहरहाल, मुख्यमंत्री के जन्मदिन समारोह से कई बातें स्पष्ट हो गई है। ये बातें आने वाले विधानसभा चुनाव व अन्य मुद्दों को लेकर काफी महत्वपूर्ण है। रमन ने कहा कि वे साठ के हो गए हैं लेकिन सठियाए नहीं हैं। वे कहते हैं मुझे अब लगने लगा है कि मैं परिपक्व हो चुका हूं और वाकई ये काफी हद तक सही है। राजनीति के मामले में तो रमन की रणनीतियां अब तक तो सफल ही रही है। वे डॉक्टर हैं इसलिए नब्ज पकडऩा भी उन्हें आता है और यह कुशलता वे पिछले 8 वर्षों से दिखा रहे हैं।

इस समारोह की कई खुबियां थीं (सिर्फ राजनीतिक अन्यथा न लेंवे)। कई प्रश्रों के सवाल इस समारोह से मिल गए। केएम सेठ की मौजूदगी, मधुसूदन की सक्रियता और हजारों की भीड़ के बीच दोबारा रमन सिंह के जन्मदिन समारोह ने भविष्य के गर्भ में छिपे कई सवालों के जवाब दे दिए तो कुछ और सवाल खड़े हो गए।

तो सीट तय हो गई

पहला पहलू... याद रहे कि वर्ष 2008 में डॉ. रमन सिंह किस विधानसभा क्षेत्र को चुनेंगे इसे लेकर काफी गहमागहमी थी। इससे पहले वे डोंगरगांव विधानसभा से निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे थे। अगला विधानसभा चुनाव आने तक डोंगरगांव क्षेत्र में उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा था। सीएम राज्य में ज्यादा 'बिजीÓ होने की वजह से डोंगरगांव के लिए कुछ कर नहीं पाए। नतीजतन अगले चुनाव में सीएम अपने लिए दूसरी जमीन तलाशने लगे। यह तय था कि रमन सिंह के लिए राजनांदगांव क्षेत्र ही उपयुक्त है लेकिन ऐसी कोई औपचारिक घोषणा न होने से संशय बरकरार था। मीडिया में भी कई खबरें थीं।
उस दौरान सीएम डॉ. सिंह ने काफी इंतजार के बाद अपना जन्मदिन राजनांदगांव के नए मंडी परिसर में मनाया और ये साफ किए कि वे अब राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवारों में शामिल हैं। अब, उस जन्मदिन के 4 साल बाद फिर संस्कारधानी लौटकर जन्मदिन मनाना यह तय कर गया कि वे फिर राजनांदगांव से ही दावेदारी करेंगे।

विश्वास जीत ले गए

दूसरा पहलू, इस जन्मदिन समारोह की तैयारियां काफी भव्य तौर पर की गई। सारा दारोमदार संभाला भाजपा जिलाध्यक्ष व राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र के सांसद मधुसूदन यादव ने। उनकी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन प्रभावित करने वाला रहा। वे इस समारोह का उत्सव का रुप देने में जुटे रहे। भाजपाईयों के लिए वैसे भी ये उत्सव से कम नहीं था।
भव्य आयोजन और उसकी जिम्मेदारियों को मधुसूदन ने बखूबी निभाया। मीडिया, कार्यकर्ता, कार्यक्रम, खातिरदारी व अन्य व्यवस्था में कुशलता प्रदर्शित कर वे एक बार फिर रमन के 'हनुमानÓ सिद्ध हुए हैं। इससे पहले मोहारा पुल की सड़क मामले में भी डॉ. रमन  सिंह के बजाए मधुसूदन यादव सामने आए थे और सभी सवालों का सामना किया था। डॉ. रमन ने समारोह के दौरान मंच में भी सांसद मधुसूदन के नाम पर काफी जोर दिया। इस कार्यक्रम में सौदान सिंह भी मौजूद थे। इस समारोह के माध्यम से रमन के 'हनुमानÓ सभी का विश्वास जीत ले गए।

सेठ की मौजूदगी और कई सवाल

सीएम के जन्मदिन समारोह में केएम सेठ की मौजूदगी से कई सवाल खड़े हो गए हैं। छग के पूर्व राज्यपाल की सीएम के फंक्शन में मौजूदगी से कई कयास लगाए जा रहे हैं और इन कयासों ने कई भाजपाईयों की नींदे उड़ा दी है। राजनीतिक जगत में चर्चा तेज है कि काफी दिनों से खाली बैठे सेठ का अब राज्यसभा जाने का मन है। ऐसे में रमन सिंह से उनकी नजदीकी उनके राज्यसभा जाने का प्रयास ही माना जा रहा है। वहीं सेठ का ये प्रयास राज्यसभा में टकटकी लगाए भाजपाईयों को रास नहीं आ रहा है। आवाजें तो नहीं आई हैं लेकिन माहौल शांत नहीं है।
न जाने क्यों ... सीएम के जन्मदिन की कार्यक्रम से पहले कुछ नेताओं की तबियत ख़राब हो गई. आश्चर्य इसलिए भी हुआ क्योंकि ऐसे नेता भाजपाई ही निकले....

Comments