छछूंदर हैं मोदी



इन दिनों भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में द्वंद चल रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'अपनी चलाने की आदतÓ को एक बार फिर दोहाराया। हुआ यूं कि श्री मोदी की पार्टी के संजय जोशी से पटरी नहीं बैठती। इन दिनों के बीच 36 का आंकड़ा है।

इसी बीच दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय बैठक तय हुई। बेठक में श्री जोशी भी शामिल होने वाले थे। ऐसे में श्री मोदी का पारा चढ़ गया। फिर क्या था मजबूरन श्री मोदी के कारण श्री जोशी को कार्यकारिणी से इस्तीफा देना पड़ा। 
भाजपा में श्री मोदी का वच्रस्व है हालांकि पार्टी के अधिकतर बड़े नेताओं की आंखों में वे गड़ते हैं। गुजरात में विकास की जिद लेकर बैठे मोदी ने अपना अलग ही खेमा बना लिया है। पार्टी में उनकी छवि 'पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं के धुर विरोधीÓ की है।   बावजूद इन बड़े नेताओं के लिए मोदी को झेलना अब मजबूरी है। 'न लिलते बन रहा है और न उगलतेÓ वाली स्थिति से मोदी के वरिष्ठ नेता जूझ रहे हैं। मोदी 'छछूंदरÓ और पार्टी के बाकी नेता 'सांपÓ की भूमिका निभा रहे हैं।

विकास का हथियार

मोदी के लिए उनका सबसे बड़ा हथियार उनके कार्यकाल में हुए गुजरात में विकास कार्य हैं। देश के अन्य राज्य इस मामले में उनका लोहा मानते हैं। कुछ महिने पहले तो गुजरात की कांग्रेस पार्टी ने ही राज्य के बड़े अखबारों में मोदी की तारीफों के कसीदे पूरे पेज के विज्ञापन देकर पढ़े थे।
मोदी की स्पष्ट नीति भी उनके तरकश का एक तीर है। इस तीर के घायल भी कई हैं, लेकिन वे इससे आहत होने के बावजूद मोदी का विरोध नहीं कर सकते। इसका कारण है उनकी दबंग छवि।
पिछले दिनों गुजरात के संजीव भट्ट (आईपीएस अफसर) ने मोदी पर आरोप लगाए। गोधरा कांड को लेकर मोदी पहले ही विवादों में चल रहे हैं और यही एक मामला उनका साए की तरह पीछा कर रहा है। भट्ट के लगाए आरोप पर मोदी ने चुप्पी साधे रखी। अब भट्ट स्वयं इस मामले में घिर चुके हैं। मोदी की रणनीति चाहे जो हो राजनीति के मैदान में उन्हें मात देना थोड़ा मुश्किल है।

अब रैली में हुंकार

भाजपा की हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक के अंतिम दिन रैली का आयोजन हुआ। भाजपा के कद्दावर नेता इसमें शामिल हुए। गड़करी से बिल्कुल पहले संबोधन के लिए मोदी उठे। मोदी ने 30 मिनट का भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने अपने बारे में बताने के लिए महज 5 मिनट खर्च किए। बचे 25 मिनट में उन्होंने केंद्र सरकार और मनमोहन सिंह की खिलाफत की। 
मोदी के इस भाषण से फिर कद्दावर नेताओं को झटका लगा है। उनकी दबंग शैली का रुख केंद्र की ओर था। ऐसे में दूसरों का सोचना है कि उन्होंने अपने 'पीएम इन वेटिंगÓ की छवि को देखते हुए ऐसा भाषण दिया है। दूसरे समझ गए हैं कि अब मोदी भी इस मामले में गंभीर हैं।
बहरहाल, मोदी की नीति, राजनीति, छवि, दबंगई और लोग जिसके लिए उन्हें जानते हैं भाषण शैली सभी पर भारी नजर आ रही है। 'छछूंदरÓ मोदी, 'सांपÓ बने नेताओं के लिए एक मुश्किल का सबब बन चुके हैं।

Comments

Post a Comment